Webar’s Theory– आर्थिक भूगोल के क्षेत्र में उद्योगों की अवस्थिति से संबंधित दिए गए सिद्धांतों में वेबर के औद्योगिक अवस्थिति सिद्धांत का विशेष महत्व है।
यहां औद्योगिक अवस्थिति (Webar’s Theory of Industrial location) का तात्पर्य एक ऐसी अनुकूलतम अवस्थिति के निर्धारण से है जहां किसी भी उद्योग को स्थापित करने पर अधिक से अधिक लाभ हो सके चूंकि लाभ का संबंध लागत एवं कीमत से होता है।
अधिकतम राजस्व या न्यूनतम लागत के द्वारा अधिक से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है वेबर ने न्यूनतम उत्पादन लागत पर आधारित सिद्धांत का प्रतिपादन किया।इन्होंने उत्पादन लागत को निर्धारित करने वाले कारकों में परिवहन लागत, श्रम लागत और एकत्रीकरण अर्थ व्यवस्था को सिद्धांत के विश्लेषण का आधार बनाया।
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वेबर ने निम्नलिखित मान्यताओं के आधार पर सिद्धांत का वर्णन किया – webar’s theory
1– एकरुप प्रदेश की संकल्पना के आधार पर प्राकृतिक विशेषताओं के साथ जनसंख्या के वितरण को समरूप या समान मानते हुए यह विचार व्यक्त किया कि एक रूप प्रदेश के केंद्र में बाजार होता है जहां से सभी दिशाओं में परिवहन के साधन समान रूप से उपलब्ध होते हैं।
2– परिवहन लागत दूरी एवं भार का प्रतिफल होता है।
3– श्रमिक स्थान आबद्ध होते हैं।
4– इन्होंने आर्थिक मानव के संकल्पना के आधार पर यह भी माना कि उद्योगपति अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से अनुकूलतम अवस्थिति की पहचान करते हैं।
5– वेबर ने उद्योग में उपयोग किए जाने वाले कच्चे माल की विशेषताओं को भी सिद्धांत के विश्लेषण के आधार पर बनाया। इनके अनुसार कच्चे माल शुद्ध या सकल होने के साथ-साथ सर्वव्यापी और स्थान आबद्ध होते हैं।
स्थान आबद्ध कच्चे माल को उद्योगों तक और औद्योगिक उत्पादन को बाजार तक ले जाने में लगने वाला परिवहन लागत, उत्पादन लागत को निर्धारित करने वाला सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक होता है।
इस प्रकार हुए बने एक रूप प्रदेश में आर्थिक मानव की संकल्पना के आधार पर कच्चे माल की विशेषताओं के साथ परिवहन लागत को प्राथमिकता देते हुए औद्योगिक अवस्थिति से संबंधित न्यूनतम परिवहन लागत सिद्धांत का प्रतिपादन किया।
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निम्नतम परिवहन लागत सिद्धांत – webar’s theory
वेबर ने न्यूनतम परिवहन लागत सिद्धांत के द्वारा यह स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि उत्पादन लागत को कम करने के उद्देश्य से उद्योग के लिए बाजार या कच्चे माल के स्रोत के समीप न्यूनतम परिवहन लागत के बिंदु का निर्धारण कैसे संभव है।
इनके अनुसार एक कच्चे माल पर आधारित उद्योगों के लिए न्यूनतम परिवहन के लागत के बिंदुओं को निर्धारित करना सभी परिस्थितियों में संभव है क्योंकि उद्योग की अवस्थिति कच्चे माल और बाजार के मध्य एक रेखा के सहारे कहीं भी हो सकती है।
एक कच्चे माल पर आधारित उद्योग – Webar’s Theory
जैसे कि स्थान आबद्ध सकल कच्चे माल पर आधारित उद्योग को कच्चे माल के स्रोत के समीप स्थापित करना लाभदायक होगा।
वही स्थान आबद्ध शुद्ध कच्चे माल को कच्चे माल और बाजार के मध्य कहीं भी स्थापित किया जा सकता है।
दो कच्चे माल पर आधारित उद्योग
दो या दो से अधिक कच्चे माल पर आधारित उद्योगों के लिए न्यूनतम परिवहन लागत के बिंदु का निर्धारण सभी परिस्थितियों में आसान नहीं होगा।
पदार्थ सूचकांक – Webar’s Theory
वेबर ने पदार्थ सूचकांक के द्वारा स्थानीय त्रिभुज की सहायता से दो या दो से अधिक कच्चे माल पर आधारित न्यूनतम परिवहन लागत के बिंदु को निर्धारित करने का प्रयास किया।
पदार्थ सूचकांक किसी भी उद्योग से प्राप्त होने वाले उत्पाद और उपयोग किए जाने वाले कच्चे माल का अनुपात होता है।
वेबर के अनुसार यदि दो या दो से अधिक कच्चे माल पर आधारित उद्योग का पदार्थ सूचकांक 1 से कम होने पर उद्योग को कच्चे माल के स्रोत के समीप स्थापित करना लाभदायक होगा।
वही पदार्थ सूचकांक एक होने पर उद्योगों को कच्चे माल एवं बाजार के मध्य स्थापित किया जाना चाहिए।
जबकि पदार्थ सूचकांक एक से अधिक होने पर उद्योगों को बाजार के समीप स्थापित करना अधिक लाभदायक होगा।
निम्नतम परिवहन लागत बिंदु से विचलन – Webar’s Theory
वेबर के अनुसार न्यूनतम परिवहन लागत के बिंदु से किसी भी उद्योग का विचलन सम लागत के कारण एक ऐसे क्षेत्र में या स्थान पर संभव है जहां परिवहन लागत में किए गए अतिरिक्त खर्च से श्रम लागत में किया गया बचत अधिक होगा।
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इनके अनुसार (Critical Isodopain) कांतकी आइसोडोपेन वह सम परिवहन व्यय रखा है जहां परिवहन लागत में किया गया अतिरिक्त खर्च श्रम लागत में किए बचत के बराबर होता है इसलिए क्रिटिकल आइसोडोपेन एन तक किसी भी उद्योगों को स्थानीयकरण न्यूनतम परिवहन लागत के बिंदु के करना लाभदायक होगा वही क्रिटिकल आइसोडोपेन एन के बाहर स्थित क्षेत्र में परिवहन लागत में किया गया अतिरिक्त खर्च सम लागत में किए बचत से अधिक होने के कारण न्यूनतम परिवहन लागत के बिंदु से उद्योग का विचलन लाभदायक नहीं होगा।
एकत्रीकरण अर्थव्यवस्था
एकत्रीकरण अर्थव्यवस्था का तात्पर्य एक ऐसी आर्थिक क्रियाओं से है जहां एक साथ कई उद्योगों को स्थापित किए जाने पर किसी एक उद्योग का निर्गत दूसरे उद्योग के लिए आगत होगा।
ऐसी स्थिति में न केवल परिवहन व श्रम लागत कम होगा बल्कि संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग होने के कारण उद्योग को स्थापित किए जाने पर उत्पादन लागत भी अन्य किसी क्षेत्र से कम हो जाएगी।
इसलिए वेबर ने एकत्रीकरण अर्थव्यवस्था के प्रभाव से न्यूनतम परिवहन लागत और श्रम लागत के बिंदु से उद्योगों को वहां स्थापित करने का सुझाव दिया जहां एक उद्योग का उत्पादन दूसरे उद्योग के द्वारा कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाता हो।
आज एकत्रीकरण अर्थव्यवस्था के प्रभाव के कारण ही विश्व के अधिकांश क्षेत्रों में उद्योगों का स्थानीयकरण औद्योगिक संकुल या प्रदेश के रूप में हुआ है।
वेबर के औद्योगिक अवस्थिति सिद्धांत की प्रासंगिकता
वेवर का औद्योगिक अवस्थिति सिद्धांत न्यूनतम उत्पादन लागत पर आधारित है इन्होंने अपने सिद्धांत में उत्पादन लागत को आवश्यकता से अधिक महत्व दिया जबकि किसी भी उद्योग के अनुकूलतम अवस्थिति के निर्धारण में लागत के साथ कीमत की भी भूमिका होती है।
इनके अनुसार अनुकूलतम व स्थिति के बिंदु पर उद्योग को स्थापित करना लाभदायक है जबकि व्यवहारिक स्तर पर ऐसा सभी उद्योगों के लिए संभव नहीं है बल्कि किसी भी उद्योग को अनुकूलतम अवस्थिति के बिंदु के अतिरिक्त उस क्षेत्र तक स्थापित किया जा सकता है जहां तक कीमत, लागत से अधिक हो।
किसी भी उद्योग के स्थानीयकरण में उद्योगपतियों के द्वारा लिए जाने वाले निर्णय का एक दूसरे पर प्रभाव भी पड़ता है जिसे वेबर ने अपने सिद्धांत में महत्व नहीं दिया।
व्यवहारवादी भूगोलवेत्ताओं के अनुसार सभी परिस्थितियों में व्यक्ति आर्थिक मानव के जैसे व्यवहार नहीं करता अर्थात वह हमेशा लाभ को ध्यान में रखकर ही उद्योगों के स्थानीयकरण का निर्णय नहीं लेता है।
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वेबर के अनुसार परिवहन लागत दूरी एवं भार का प्रतिफल होता है जबकि अन्य कारक भी परिवहन लागत को प्रभावित करते हैं जहां तक की दूरी बढ़ने के साथ परिवहन लागत में वृद्धि का दर कम होने लगता है।
इनके अनुसार श्रमिक स्थान आवत होते हैं इसलिए जहां स्वस्थ श्रमिकों की पर्याप्त उपलब्धता होती है वहां उत्पादन लागत को कम करने के उद्देश्य से उद्योगों का स्थानीयकरण किया जाता है जबकि वास्तव में ना केवल श्रमिक गतिशील होते हैं बल्कि इनकी अपेक्षा औद्योगिक इकाइयों का आकर्षण बल अधिक होने के कारण श्रमिकों का पलायन औद्योगिक केंद्र की ओर होता है।
Government policies
उद्योगों के स्थानीयकरण में सरकार की औद्योगिक नीतियों का भी व्यापक प्रभाव रहता है और योगिक विकेंद्रीकरण नीति के अंतर्गत सरकार के द्वारा उद्योगों का स्थानीयकरण आर्थिक विकास के लिए बाजार एवं कच्चे माल से दूर आर्थिक दृष्टि से पिछड़े क्षेत्रों में भी किया जाता है।
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वेबर के उत्पादन लागत पर आधारित औद्योगिक अवस्थिति सिद्धांत की आलोचना
इस प्रकार वेवर के उत्पादन लागत पर आधारित औद्योगिक अवस्थिति सिद्धांत की आलोचना कई बिंदुओं पर की जा सकती है।
जिसके औद्योगिक नीतियों के निर्धारण में इनके सिद्धांत की प्रासंगिकता कम हो जाती है वहीं वैश्विक स्तर पर उद्योगों के वितरण प्रतिरूप के अध्ययन से यह भी स्पष्ट होता है कि विश्व के अधिकांश क्षेत्रों में शक्ल कच्चे माल पर आधारित उद्योगों को कच्चे माल के स्रोत के समीप और शुद्ध कच्चे माल पर आधारित उद्योग को बाजार के समीप स्थापित किया गया है।
जहां तक कि परिवहन लागत को कम करने के उद्देश्य से उद्योगों का स्थानीयकरण कच्चे माल एवं बाजार से दूर स्थित क्षेत्रों में बंदरगाह नगरों के समीप किया गया है।
एकत्रीकरण अर्थव्यवस्था के प्रभाव से विश्व के अधिकांश क्षेत्रों में उद्योगों का विकास औद्योगिक संकुल या प्रदेश के रूप में होने के कारण वेबर का सिद्धांत (webar’s theory) क्षेत्र विशेष के संदर्भ में प्रासंगिक प्रतीत होता है।
यहां तक कि वर्तमान में औद्योगिक नीतियों का निर्धारण करते समय कच्चे माल की उपलब्धता एवं परिवहन लागत एवं बाजार की सुविधा को ध्यान में रखकर औद्योगिक विकास को प्राथमिकता दी जा रही है इस प्रकार वर्तमान परिपेक्ष में वेबर के सिद्धांत की प्रासंगिकता बनी हुई है।
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